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ISRO STUDSAT

Description :

StudSat is essentially a CubeSat satellite designed by a group of engineering students from different parts of India. StudSat-1 is a miniaturized, picosatellite launched successfully on July 12th, 2010 into the synchronous orbit of the sun from the Satish Dhawan Space Center.


The objective of the mission was for students to get hands-on experience of the fabrication, realization, and design of a real space mission at minimum cost. The mission was largely experimental in nature, and lasted for six months. StudSat-1 can easily be called the first picosatellite as well as the smallest one launched by the country or any Indian organization for that matter.


SMALL BUT POWERFUL


Today, StudSat is placed successfully in the orbit of the sun. It even received its first signal on July 12th, 2010 at 11:07 IST. The satellite largely resembles a small rectangular cube. Its dimensions are 10 cm x 10 cm x 13.5 cm.


The Satellite performs the application of a remote-sensing satellite. It takes pictures of earth's surface with a 90-meter resolution. Besides, the satellite also consists of a host of subsystems such as a mechanical structure, a communication subsystem, Payload (Camera), a distribution and power generation subsystem, as well as an on-board control and determination subsystem.


A Ground Station has also been designed to communicate effectively with the satellite. NMIT established this Ground Station or the NASTRAC (Nitte Amateur Satellite Tracking Center). It has been inaugurated by ISRO’s chairman, Dr. K. Radhakrishnan.


ISRO STUDSAT

વધુ વિગત :


ISRO STUDSAT

अधिक जानकारी :

स्टडसैट (StudSat) एक क्यूबसैट (CubeSat) सैटेलाइट है जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों से आए हुए इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा डिज़ाइन किया गया है। स्टडसैट-1 एक लघु, पिको सैटेलाइट है जिसे 12 जुलाई 2010 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सूर्य की समकालिक कक्षा में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।


इस मिशन का उद्देश्य छात्रों को न्यूनतम लागत पर वास्तविक अंतरिक्ष मिशन के फैब्रिकेशन, रियलाइजेशन और डिजाइन का अनुभव प्रदान करना था। मिशन प्रकृति में काफी हद तक प्रयोगात्मक था, और इसकी अवधि छह महीने तक की थी। स्टडसैट-1 को आसानी से देश द्वारा या किसी अन्य भारतीय संस्था द्वारा लॉन्च किया गया सबसे पहला पिको सैटेलाइट और साथ ही सबसे छोटा सैटेलाइट कहा जा सकता है।


छोटा लेकिन शक्तिशाली


आज स्टडसैट सूर्य की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया है। यहाँ तक की इसने अपना सबसे पहला सिग्नल 12 जुलाई 2010 को 11:07 आईएसटी पर प्राप्त किया। उपग्रह काफी हद तक एक आयताकार घन जैसा दिखता है। इसका आयाम 10 सेमी x 10 सेमी x 13.5 सेमी है। इतना ही नहीं, इसका वजन लगभग 1.1 लीटर की मात्रा के साथ 950 ग्राम है।


यह रिमोट-सेंसिंग सैटेलाइट का काम करता है। यह 90 मी के रिज़ॉल्यूशन के साथ धरती के सतह की तस्वीरें खींचता है। इसके अलावा, उपग्रह में यांत्रिक संरचना(मैकेनिकल स्ट्रक्चर), संचार उपतंत्र( कम्युनिकेशन सबसिस्टम), पेलोड (कैमरा), बिजली उत्पादन तंत्र(पावर जनरेशन), वितरण(डिस्ट्रीब्यूशन) साथ ही ऑन-बोर्ड नियंत्रण और निर्धारण हो सके ऐसी उप प्रणालियां (सबसिस्टम्स) लगी हुई है।


उपग्रह के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए एक ग्राउंड स्टेशन भी तैयार किया गया है। इस ग्राउंड स्टेशन या NASTRAC (निट एमेच्योर सैटेलाइट ट्रैकिंग सेंटर) को NMIT ने स्थापित किया है। इसका उद्घाटन इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन द्वारा किया गया है।